tag:blogger.com,1999:blog-614937124288407956.post6658380728540227288..comments2023-11-02T21:14:26.159+05:30Comments on एक शहर है: पाठक की राह क्या है?Ek Shehr Haihttp://www.blogger.com/profile/05215554023009330885noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-614937124288407956.post-38460605808943841162009-07-04T12:13:32.808+05:302009-07-04T12:13:32.808+05:30नमस्ते लख्मी जी।
मुझे आपका लिखा हुआ बहुत गहराई से...नमस्ते लख्मी जी।<br /><br />मुझे आपका लिखा हुआ बहुत गहराई से और कुछ सिंचने वाला होता है।<br /><br />पढ़ने और महसूस करने के बीच एक हल्की रेखा के बीच हम कहीं कुछ पलों के लिये रुक जाते हैं और जीते हैं उस ओझल तरलता को जो हमें अपने से अजनबी बना जाती है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10663052798800595604noreply@blogger.com