किसको देखना चाहता है दिल मेरा
कुछ पाना नहीं - कुछ खोना चाहता है दिल मेरा
खुद को देखने के लिये जब भी आया ये आइने के सामने
खुद को देखकर बस, चौंका है दिल मेरा।
रूप बदलता रहा हर वक़्त
कोई कहानी कहता रहा हर वक़्त
हर सुनने वाला खुद के बसाकर
बेज़ुबानी मे भी गुनगुनाता रहा दिल मेरा
राकेश
1 comment:
वाह,,,,,
बहुत खूबसूरत नज़्म राकेश जी
सादर
अनु
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