Thursday, July 5, 2012

सामने जो दिख रहा है

किसको देखना चाहता है दिल मेरा
कुछ पाना नहीं - कुछ खोना चाहता है दिल मेरा
खुद को देखने के लिये जब भी आया ये आइने के सामने
खुद को देखकर बस, चौंका है दिल मेरा।

रूप बदलता रहा हर वक़्त
कोई कहानी कहता रहा हर वक़्त
हर सुनने वाला खुद के बसाकर
बेज़ुबानी मे भी गुनगुनाता रहा दिल मेरा


राकेश

1 comment:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह,,,,,

बहुत खूबसूरत नज़्म राकेश जी
सादर
अनु