खुश
रहने के लिये क्या चाहिये होता है भला। बस, अपनी
तकलीफो को नज़रअंदाज करों, बिमारियों को छुपाओ और बीते हुये सुखों को
याद करो। बस मिल गया जिंदा रहने का आसरा। कहते हुये एक परिवार अपने दुखों का मजाक
नहीं बनायेगा तो जियेगा कैसे? वैसा ही ये सरकारी जगहों और अपने बनाये
घरों के बीच का रिश्ता। अनेकों नराजगियों के बीच, तानेबाने
की खींचातानी के चलते इनका रिश्ता कभी कमजोर नहीं पड़ता। बस, चुइगम
की तरह खिंचता जाता है।
आज
महीने का दूसरा मंगलवार है। सुबह से ही भीड़ लगनी शुरू हो चुकी है। पिछले हफ्ते ही
ये कह कर दिया था की आज ही के दिन बच्चों के रूटीनी इंजेक्शन लगाये जायेगें।
इसलिये यहां सभी को इतनी जल्दी है की डिस्पेंशरी खुलने के समय से लगभग 2 घंटा
पहले ही लाइन लगना शुरू हो चुका है।
आज
लोगों की भीड़ है। बच्चे तैयार है। बिना निलाहे - दुलाये
मांओ ने उन्हे इंजेक्शन के लिये तैयार कर लिया है।
एक
बच्चे ने अपनी मां से पूछा, “मम्मी हम यहां पर क्यों आये है?”
तो
मां कहती है, “बेटा यहां पर डॉक्टर आंटी सब बच्चों को टॉफियां बांट रही
है तभी तो आज देखों कितने सारे बच्चे आये हुये।"
"मम्मी
क्या डॉक्टर आंटी सबको टॉफी देगी?” बच्चे
ने पूछा।
“हां
बेटा।"
“फ्री
में?”
“हां
बेटा।"
“उनके
पास इतनी सारी टॉफी होगीं?”
“हां
बेटा।"
“जितनी
मांगेगे उनती देगी?”
“हां
बेटा।"
"फिर
तो मैं दो लूंगा।" उसने खुश होते हुये
कहा।
“बेटा
वो उनको दो देगी तो चुपचाप बैठेगें छांव में। नहीं तो वो नहीं देगीं।" मां
ने जैसे ही उससे ये बात कही वो भागकर गया और दीवार से लगी कुर्सियों पर बैठ गया।
मीठी
गोली, मीठी
दवाई, फ्रुर्टी
का इंजेक्शन ना जाने किस किस चीज से सभी ने अपने बच्चों को बहकाया हुआ है।
“मम्मी
कब मिलेगी हमें टॉफियां?” एक बच्चे ने जोर से पूछा।
“बस, बेटा
थोड़ी देर और फिर अंदर चलेगें।" मम्मी
ने फिर से बहलाते हुये उसे वापस जाने पर मजबूर कर दिया।
इतने
एक बड़ी सी वेन डिस्पेंशरी के गेट के सामने रूकी। गेट पूरा खोल दिया गया। उसमें से
दो लड़के छोटे छोटे कार्टन बॉक्स उतार कर अंदर ले जा रहे हैं। लाइन में खलबली शुरू
हुई। सभी बैठे लोग खड़े हो गये। दूर खड़े अपने नम्बरों में आ गये। बच्चे अपने अपने
मम्मी और पापा के पास में खड़े हो गये। लगता है खिड़की खुलने वाली है।
वहां
पर खड़े बच्चों ने उन दोनों लड़को से पूछा, “अंकल
इसमें हमारे लिये मीठी टॉफियां है?”
उसमें
से एक लड़का बोला, “नहीं, इसमें
तो इंजेक्शन हैं तो जो आपके लगेगें।"
उस लड़के बड़ी जोरों से हंसे और वहां खड़े बच्चों ने रोना शुरू किया।
लख्मी
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