देखते हुए महसूस हुआ की मैं उस ओर जा रहा हूँ जहाँ पर मेरे होने का गहरा असर है। लेकिन कोई इस असर को निढाल कर रहा है। मुझे मेरे ताकतवर, मेरे होने के अहसास से दूर ले जा रहा है।
मैं सोच नहीं पा रहा था - फिर सोचा इसे देख लिया जाये। पूरा देखा : कोई रूप जो आपके भीतर ही है, मगर आपके बाहर दिखने वाले रूप जैसा नहीं है। अन्दर जो है वे बाहर वाले हिस्से को खींचकर ले जा रहा है। लेकिन जैसे पूरी ताकत बाहर वाले के पास है। ये कब ढीला पड़ता है? और कब कोई रूप बाहर आकर अपने होने को बताता है और जिससे बाहर दिखता रूप अपने गायब होने को जीवन मान लेता है।
लख्मी देखने के बाद से मुझे कहीं और जाना है :
1 comment:
Anonymous
said...
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