Friday, December 16, 2011

लिखने की जूस्तजू

- खुद के बाहर जाकर लिखना
- खुद को छोड़कर लिखना
- खुद को तोड़कर लिखना।
- खुद को किनारे पर खड़ा करके लिखना
- खुद से लड़ते हुये लिखना
- अपने को भावनात्मकता से बारह ले जाकर लिखना
- नैतिक और पहचान से बाहर होकर लिखना
- “मन" के वश मे आये हुए लिखना
- नियमित्ता से टकराते हुये लिखना
- खुद को भीड़ मे रखकर लिखना
- अपने को एंकात मे महसूस करके लिखना
- हकीकी जीवन ब्योरे से बाहर होकर लिखना
- लाइव टेलिकास्ट होकर लिखना
- अंजान और परिचय से बाहर होकर लिखना
- "कारण" के बिना लिखना
- सवालों से लिखना
- बिना सवालों के लिखना
- खोज़ करते हुये लिखना
- बिना सवाल जवाब के बातचीत लिखना
- खुद को सवाल करते हुये लिखना
- खुद को गायब करके लिखना
- खुद को छुपा कर लिखना
- किसी मे दाखिल होकर लिखना
- बिना सहमति के लिखना
- खुद को और आसपास सुनकर लिखना
- जीवन कोमेंट्री करते हुये लिखना
- बिना कहानी के लिखना
- अपने को समझाते हुये लिखना
- “कहाँ" की कल्पना करते हुये लिखना
- काल्पनिक किरदार को बनाते हुये लिखना
- अतीत और याद के बाहर होकर लिखना
- जगह को पहेली की तरह महसूस करते हुये लिखना
- चीज़ों से लिखना
- बेजान चीज़ों के बीच मे बातचीत कराते हुए लिखना
- दृश्य को दर्शन बनाकर लिखना
- बिना किसी निर्णय के लिखना
- खुद को चोट पहुँचाकर लिखना
- खुद के दायरे से टकराते हुये लिखना
- अपने मे किसी और के अहसास से लिखना
- अपने से अजनबी बनकर लिखना
- बिना पारिवारिक और काम के घेरे मे जाये लिखना
- बिना किसी स्टॉप के लिखना
- खुद को लिखना, बिना कोई परिचय दिये
- स्वयं के साथ बातचीत करके लिखना
- काम और रिश्तों के बाहर जाकर बातचीत करके लिखना
- खुद को वास्तविक्ता से बाहर ले जाकर लिखना
- खुद की उम्र कम करके लिखना।
- खुद के बने - बनाये तरीके से हट कर लिखना
- नये ढाँचे बनाते हुये लिखना
- जगह को रहस्य बनाकर लिखना

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