Tuesday, January 3, 2012

अफवाहों का साल 2012

नया साल मुबारक

कई अफवाहों से उलझा साल आखिरकार दरवाजे पर हर साल की तरह धड़ल्ले से दस्तक देकर घर के अंदर दाखिल हो ही गया। सच मे..... ये बेहद सच्चे मन से मान ही लिया जाये की ये सारी अफवाहें इस साल मे सच हो जायेगी तब रोजमर्रा का रूप क्या होगा? क्या वे तब भी फसाद ही बनकर रहेगी या कुछ और रूप ले लेगी?

राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की "आनंद" नाम की फिल्म के अनुसार जब किसी को ये मालूम हो जाये की उसका अंत कब है तो वो दुगना जीता है। रिश्ते, नाते, फैसले, नियम, काम और बैचेनी के रूप बदल जाते हैं। तब इस साल मे क्या होगा?

अफवाहों में इजाफा करते हैं - 2012 में दुनिया का अंत होगा। ये बात अगर सही मे सच हो जाये और ये पता न हो की वे कौनसे दिन व तारीख और समय मे होगा तो हर पल को इस तरह जिया जायेगा जैसे वे आखिरी है - इसके बाद मे वो फिर से नहीं आयेगा।

एक बार एक दिल्ली की बस्ती का विस्थापन किया जा रहा था। रात हो चुकी थी। सभी सवेरे होने वाले सरकारी खेल की कल्पना कर रहे थे। दिन का रूप क्या होगा ये किसी को नहीं पता था। किसी को नहीं पता था की कौन कहां पर चला जायेगा दूसरे दिन की शाम होते होते। बस, सभी रात को भोग रहे थे। कुछ देर के बाद वहां पर नाचना और गाना शुरू हुआ। वो गाना किस भाषा मे था इसको कोई सोच रहा था, वे बस उस रात का वो निवाला था जिससे रात को भोगा जा रहा था। ये भोग जीवन के चरनो मे था। कल के सवेरे के लिये।

उस रात के बीत जाने के बाद मे मेरे एक साथी ने कहा, "ये रात फिर नहीं आयेगी। रातें आयेगी, आती रहेगी मगर इसे ऐसे जी लिया मैंने जैसे ये दोबारा नहीं आयेगी।"

पिछले साल से बाहर निकला जाये - मगर साल से बाहर निकलना कैलेन्डर से ही सिर्फ बाहर निकलना होगा -
पिछली रात यूपी मे एक जोरदार अफवाह ने दस्तक दी - पूरे यूपी मे फैला की अगर "कोई रात मे सोयेगा तो वो पत्थर का हो जायेगा।" 2 जनवरी 2012 को शायद "रात"पूरी यूपी मे हुई ही नही या वो "रात" नही हुई जिसे सोने के लिये बनाया गया है। रात को जीने की परमपरा को इस एक अफवाह ने जोरदार वार से तोड़ दिया। रात भर लोग सड़क के किनारे खड़े इस रात के खेल को देख रहे थे और ना तो खुद सो रहे थे और ना ही किसी और को। रात अपनो से बात करने के लिये अब तक बन चुकी थी। ठण्ड क्या है और ओस क्या सबको इसने अपने पैरो तले रख दिया था।

साल की शुरूआत हो चुकी है। हर दिन और हर रात का आलम इन मीठी अफवाहों से भरा होगा। जीवन और मौत के बीच मे ये अफवाहें ना जाने कितने परमपरागत नितीयों को तोड़ेगी और जीवन सच मे खेलता नज़र आयेगा।

लख्मी

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