मैं मानता हूँ, “कितनी ही जिद् और टेंशनें हैं - किसी जगह में आने की, जाने की, कुछ बनाने की और साथ ही साथ टूटने की। मगर असल में ये सब की सब मेरे अन्दर हैं वो शहर में और न ही मेरे आसपास नज़र आती। मैं ही अपने अन्दर खुद का टूटना और बिखरना लिये चलता रहा और बाहर को रूखा - रूखा मानकर भी। क्या मैं अपने अन्दर ही दबकर रह गया हूँ? क्या वहीं से सब कुछ उभरता रहा?”
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कौन है जो पूरी जगह की तरफ से बोल सकता है?
कौन है जो पूरी जगह को बता सकता है?
कौन है जो पूरी जगह का चेहरा है?
कौन है?
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कौन है जो पूरी जगह की तरफ से बोल सकता है?
कौन है जो पूरी जगह को बता सकता है?
कौन है जो पूरी जगह का चेहरा है?
कौन है?
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पहला शख़्स– क्या वो है जो अपने साथ 100 लोगों को लिये चलता है?
दूसरा शख़्स - क्या वो है जिसने लोगों के सरकारी दस्तावेज़ बनाये है?
फिर से पहला शख़्स - शायद वो है जिसने यहाँ पर लोगों को राशन दिलवाया है!
तीसरा शख़्स – यहाँ के प्रधान है - जो रात में कोई न कोई बुरी ख़बर सुनाते हैं।
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दूसरा शख़्स - क्या वो है जिसने लोगों के सरकारी दस्तावेज़ बनाये है?
फिर से पहला शख़्स - शायद वो है जिसने यहाँ पर लोगों को राशन दिलवाया है!
तीसरा शख़्स – यहाँ के प्रधान है - जो रात में कोई न कोई बुरी ख़बर सुनाते हैं।
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"खुदी हुई जगह को रोज़ - रोज़ देखकर मैं हैरान था। इसको दोहराने के लिये शब्द आ कहाँ से जाते थे सबके पास। जबकी मैं शब्दों और बोलो से कमजोर पड़ रहा था। एक शाम मेरे साथी ने कहा, “बाहर जाओ और जगहों, लोगों को देखकर आओ उसके बाद में खुद से हर रोज़ एक सवाल पूछों।"
वो कौन – कौन से लोग होते हैं जो शहर की कल्पना और गढ़ना मे नहीं आते?
लेकिन किसी जगह के टूटने के वक़्त उससे जुड़ जाते हैं।
20 घरों की गली मे से दस घर टूटे पड़े थे।
वहाँ पर घूसने वाली पहली गाड़ी थी बुलडोज़र।
अपने घर को देख रहा है।
जिससे पूरी गली आँसूओ से तर हो गई। वहाँ पर खड़ी
पुलिसकर्मी भी।
जब उस डायरी पर लिखे सवालों को मैं देखता तो बनने और टूटने के बीच में खड़ा मैं एकमात्र शख़्स था जो खुद से लड़ रहा था। उस डायरी ने एक अपार दुनिया मेरे सामने खोल दी थी।- वहाँ से गुज़रने का मतलब क्या है?
वहाँ पर घूसने वाली पहली गाड़ी थी बुलडोज़र।
- ये नज़ारा मैं कैसे देखूँ?
अपने घर को देख रहा है।
- उसके सामने दस मिनट खड़े रहने का मतलब क्या है?
जिससे पूरी गली आँसूओ से तर हो गई। वहाँ पर खड़ी
पुलिसकर्मी भी।
- मैं वहाँ से भाग आया - क्यों?
लख्मी
1 comment:
बात समझना मुश्किल होता है ..
एक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
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