Monday, November 9, 2009

पहेलियों मे समाई कहानियाँ . . .

ये कहानी उतनी ही पुरानी है जितनी की वे दुनिया जो कहने और सुनाने के अहसासों मे बांटी जाती रही है। इनमें कई ऐसी पहेलिनुमा दुनिया है जिसको समझने में हर वक़्त दिलचस्पी बड़ती रहती है। इस दौरान हम कुछ ऐसे सफ़र से गुज़रेगें जिसमें हम कुछ दिमाग चलाकर आगे बढ़ेगें। थोड़ा अटकते हैं - वे कहानियाँ जिनमे हम आसानी से उतरते जाते हैं लेकिन कभी ठहरकर ये भी नहीं सोचते की वे कहानियाँ हमें कितने ऐसे लोगों से मिलवाती हैं जिनसे हम कभी मिले नहीं मगर जिसकी भी ज़ुबान से उस कहानी को सुना बस, उसी शख़्स को कभी-कभी कहानी का हीरो समझकर उस कहानी मे उड़ने लग जाते हैं।

कुछ कहानियों को बाँटना आरम्भ करते हैं -


कहानी की शुरुआत करते हैं: -

तीन भाई अपने खेतों मे बहुत खुश रहते । अपनी मेहनत और हर वक़्त को सींचने मे उन्हे बेहद आन्नद आता। उनका घर उनके खेतों से ज्यादा दूर नहीं था लेकिन फिर भी वो खाना खेतों मे ही खाते थे। दिन भर काम के आन्नद मे वो तीनों एक दूसरे से मिल नहीं पाते थे। एक खेतों मे पानी का काम करता तो दूसरा बीज देखता तो तीसरा हर वक़्त खेतों के रंगों को ही देखता रहता था।

तीनों के तीनों दोपहर मे एक पहर मे ही अपने - अपने काम के आन्नद के बारे मे बतलाते थे। जो करना उनको बेहद खुश कर देता था।

एक बार काम से थोड़ा सा निज़ात पाकर वो तीनों खाने के इन्तजार मे बैठे थे। तीनों को बेहद आराम महसूस हो रहा था। बीच वाला भाई बता रहा था कि खेतों को अब पकने मे ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा। उनकी खुशबू और रंग निखर गया है। दो दूसरा कहता, “फिर तो पानी को बन्द करना होगा। नहीं तो सारे के सारे रंग खो देगें।

इन सभी पर बात चल रही थी। तभी उनके घर से खाना आ गया। उन तीनों ने कहा, “खाना अभी नहीं खायेगे हम, तुम जाओ हम थोड़ा आराम करले उसके बाद मे खायेगे। " उनकी बीवी खाना रखकर चली गई। वो तीनो भाई खाना यूहीं रखकर सो गये। थोड़ी देर के बाद मे उनमे से छोटा भाई उठा उसने देखा की दोनों भाई सो रहे हैं तो उसके रोटियों के तीन हिस्से किये और अपना हिस्सा खाकर सो गया। उसके बाद मे दूसरा भाई उठा - उसने भी देखा की दोनों भाई सो रहे हैं उसने भी रोटियों के तीन हिस्से किये । अपना हिस्सा खाया और खाना पैक करके सो गया। उसके बाद मे तीसरा भाई उठा। उसने देखा की दोनों भाई सो रहे हैं उसने भी रोटियों के तीन हिस्से किये। अपना हिस्सा खाया और रोटियाँ पैककर के सो गया।

अब बात अटक गई की आखिर उसमे रोटियाँ कितनी थी?

क्या हम ये जान सकते हैं....

लख्मी

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