एक शहर है
Saturday, May 8, 2010
माहौल को सोचना
घर को किसी सफ़र की तरह देखकर देखे तो हमे क्या नजर आता है?जरा इस घर के ढ़ाँचा से दूरी
बनाकर प्रवृतीयो मे हम जा गीरतें है ।
जो याद और अभी के समय का रिश्ता आने वालें कल सें बनाते हैं।
राकेश
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