एक शहर है
Monday, May 31, 2010
शौर, खमोश शौर
किसी के होने का अहसास क्या है? वो क्या जो "है" और "था" के बीच मे है? और वो क्या जो पकड़ मे है लेकिन फिर भी छूटने के अहसास है। कुछ धमक है, एक ऐसी धमक जो समय पर अपनी छाप छोड़ती है। जो लम्बे समय तो अपने साथ रहती है। जो खमोश है मगर फिर भी विचलित है।
लख्मी
1 comment:
दिलीप
said...
sundar bahut khoob
May 31, 2010 at 12:56 PM
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1 comment:
sundar bahut khoob
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