Monday, May 23, 2011

रूकावट के लिये खेद नहीं है - नई किताब

http://www.sarai.net/publications/occasional/no-apologies





शहर की दुनिया‌‌ओं और शहर को बनाने वाले उपकरणों के बीच चलता जीवन अपने अंदर क्या सवाल रखते हैं? क्षमता सबमें है। किस तरह की क्षमता है हमारे भीतर, उसकी पहचान से हम अपने और दूसरों के बीच एक जुड़ाव बनाते हैं। दुनिया की रचना में होने के अवसर तय्यार करते हैं, दुनिया को अपने अंदर लेते हैं।

हमारे आसपास, हमारे बाहर अनेकों कृतियाँ और ढ़ाँचे हैं। जब हम ख़ुद आकृतियों और ढ़ाचो को जन्म देकर उन्हें तराशते हैं तो नए जीवन के उभार, स्वप्निलता और भिडंत में रहने की इच्छाएं बनती हैं। जहाँ निराशवाद को सोच से दूर करते हैं और ख़ुद को चैलेंज में बोलते हैं कि, "यह मैं कर सकता हूँ," वहाँ नए रास्ते खुलते जाते हैं।

सत्ता नियमों में बाँधती है, उपकरण तय्यार करती है इन संभवनाओं और बौद्धिक रचनात्मकताओं को नियंत्रण में रखने के लिए। लेकिन जिवन्तता इनके भीतर से भी अपने स्वप्निल रास्तों पर आपारता में बहती है। ऊर्जाएँ एक शरीर से दूसरे में ट्रान्सफ़र होती हैं, हर माहौल विभिन्न माहौलों को तय्यार करता है।

"रुकावट के लिए खेद नहीं है" इन्हीं सवालों, कल्पनाओं, और भिडंत की अभिव्यक्ति है।

( हमारी "नई किताब" संवाद के लिये तैयार है : जरूर पढ़ें )

1 comment:

Alia said...

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Alia