एक शहर है
Monday, September 5, 2011
दीवार के पीछे से
एक दीवार जिसके पीछे जाने से पहले उसके सामने खड़े होना मुश्किल होता है। वे जो कुछ सुनने से पहले कुछ दबा ले जाने की ताकत के साथ खुद को इतना पुख्ता करती जाती है जिसके पार जाना खुद को तरल बनाने के जैसा है।
राकेश
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