Wednesday, June 12, 2013

आखिर विद्यार्थी रूके कैसे?

एक बार एक प्राइमरी स्कूल के टीचर जी बोले, “आप यहां बच्चों के साथ क्या करवाना चाहेगें? यह तो यहां स्कूल में रूकते ही नहीं।"
"ये स्कूल से भागकर जाते कहां है" हमने पूछा।
उन्होने कहा, “बाहर नुक्कड़ पर खड़े रहते हैं, वीडियों गेम की दुकान मे चले जाते हैं, पास में एक पार्क है वहां पर खेलते रहते हैं और वहां पर दीवार पर कुछ ना कुछ लिखते रहते हैं। वहां के लोगों की कम्पलेंट आई थी हमारे पास?”
हमने पूछा, “क्या इन्हे रोका नहीं जा सकता।"
उन्होने कहा, “कब तक रोके, ये रूकने वाले नहीं है।"
हमने पूछा,  “आप इन्हे रोकने के लिये कोई खास इंतजाम करते हैं?”
उन्होने कहा, “इंतजाम क्या करना? ये लातों के भूत है। हम तो इतना जानते हैं।
हमने पूछा, “फिर भी कुछ तो करते होगें?”
उन्होने कहा, “हम गेट पर हमेशा ताला लगाकर रखते हैं। साथ ही एक चौकीदार भी हमेशा रहता है।"
हमने कहा, “अरे सर। हमारा मतलब यह नहीं है। हम यह पूछ रहे हैं कि क्या वो सभी जगहें जिसकी तलाश में ये बच्चे स्कूल से भागते हैं अगर उन जगहों को ही स्कूल के भीतर बनवा दिया जाये तो?”
उन्होने कहा, “ये होने पोसिबल नहीं है। ये तो स्कूल से एक दम अलग ही जगह हो जायेगी।"
हमने कहा, “ये स्कूल से ही नहीं बल्कि घर से भी अलग जगह हो जायेगी। बच्चे ऐसी जगह की उम्मीद मे तो भागते हैं जो घर और स्कूल से अलग हो। यह खेलने नहीं जाते बल्कि उस जगह की खोज करने जाते हैं जहां पर वो खिल पाये, अपना कुछ जोड़ पाये, कुछ नया सीख पाये, एक दूसरे को सुन व देख पाये। ऐसी जगह की कल्पना कर दिजिये बच्चों का स्कूल से भागना बंद हो जायेगा।"


अच्छी शिक्षा क्या होती है? वैसे ही जैसे एक अच्छी किताब क्या होती है?

लख्मी

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