यहाँ पर वो सब कुछ जिन्दा हो जाता है जो इस मजबूत कागज के रंगों मे बसा है। वो मौजूद है, वो सुन सकता है, वो बोल सकता है, वो किसी को भी अपनी ओर खींच सकता है और किसी को भी कहीं भी उड़ा ले जा सकता है।
वो
किसी एक धार की तरह से यहाँ
अपनर पाँव जमाये हुये है। धार
जिसको हम तेजी मे देखते हैं।
धार जिसे चीज़ों के धकेले जाने
पर महसूस करते हैं। धार जिसे
हम हर वक़्त उसकी जगह बदल देने
से आँकते हैं। मगर इसका नितान्त
हो जाना ही नये अवशेषों को
जन्म देता है। यहाँ का आसरा
उसके इन्ही पहलुओ को रोशन करने
की अदाकारी निभाता है।
एक
पल को लगा कैसे कुछ भी छुटा
हुआ नहीं है। सब कुछ पल्लुओ
से बँधा है। कोई पहलु ऐसा हो
ही जाता है जो कहीं दूर फैंकने
पर जोर देता है कोई पहलु काटने
को दौड़ता है तो कोई चुप्पी
साधकर कहीं बैठ जाता है।
लेकिन
यहाँ पर सब कुछ अपने कब्जे मे
है। कुछ बी खो देने की बहस है।
वो सभी पल उंगलियों के निशानों
की तरह से कलेजे पर छपे हैं।
ये तन्मयता कि कशीश मे बह जाने
का बुखार है। जो एद – दूसरे के
करीब और करीब ले आने की निर्पक्ष
कोशिश करता है -
बाँधता
है। इस एक छोटी सी झलक मे एक
अहसास बंध जाता है जिसे सालों
गुज़र जाने के बाद भी महसूसकृत
पल से देखा जा सकता है। वे पल
इसमे बस गये हैं। जो भूलने से
ज्यादा याद रह जाने की लड़ाई
लडेगें या शायद लड़ते आये
होगें।
ये
उस पल को सामने खोलकर ले आते
हैं। जिसे ज़िन्दगी बीत जायेगी
लेकिन उस दृश्य को समझाना किसी
के लिये भी आसान नहीं होगा।
ये अहसास जैसे खुद मे कई अनमोल
भेद समाये जी रहा है। ऐसे कई
और चित्र हैं जो यहाँ पर बिखरे
पड़े हैं । वे सभी निशानियाँ
यहाँ पर पहले से चल – गुज़र
रही हैं। जिन्हे कभी कैद नहीं
किया जा सकता। जहाँ पर मानो
चेहरे एक – दूसरे के लिये
पाश्रवगायब की भांति जी रहे
हैं। एक – दूसरे के बिना और एक
– दूसरे के साथ। गाने वाले वो
गीत जो गाये खुद की ज़ुबान से
जाते हैं लेकिन होंठ उसमे किसी
और के हिलते हैं।
यहाँ
पर याद रखने को कुछ भी नहीं है
तो शुक्र है की हाथों से खो
जाने के लिये बी कुछ नहीं है।
हर एक चीज मे मनो के हिसाब से
कई आर्षित अहसास लदे हैं।
जिनसे भरपूर पलो को बाँधा हुआ
सा लगता है।
ये
समय और चेहरे कहीं वापस ले
जाने की माँग करते हैं। जहाँ
से वापसी का रास्ता और मन्जिल
नज़र ही नहीं आता। बस,
जो
डूब जाने को अपना आसरा मानती
है। खानाबदोश होकर जीनव वाले
दृश्य खुद को मौज़ुद रख पाते
हैं। जिनमे बिना कुछ कहे ही
बीते हुये समय के वो धार शामिल
है जो किसी भी रिश्ते को खिसकने
नहीं देतें। बस,
उसी
के साथ नये पैमाने जोड़ते हुये
नज़र आते हैं।
कुछ
ही समय के बाद ये एक ऐसा जित्र
बनकर सामने आ गया था जिसमे खुद
के अन्दर ले जाने की ताकत रहै।
खुद से खिलवाड़ करने की चाहत
है किसी भी पल के लिये ऐसा कतई
महसूस नहीं होता की वक़्त से
निकल जाया जा सकता है। ये अपने
मे बसाये रखता है। अन्दर के
उस तार को छेड़ देता है जिसके
अनेको लोगों की छवि उभरती है।
उन
बीती अनेको परतों गुंजाइशे
महकती सी निखरती है। जो अरमानो
को खुला छोड़ देने के बाद भी
अपमे मे घोले रखती है। ये वे
समा है जिसे भूला या भूलाया
नहीं जा सकता। किसी एक चेहरे
के साथ मे कहीं चले जाने की
तमन्ना खुद मे भर लेने का अहसास
होता है। वो उस रिश्ते को जागरूप
करके जी रहे हैं। ये किस्सा
एक या दो पल का ही नहीं है ये
सालो की चेष्टा अपने मे लिये
आजाद घूमते हैं। कल्पना के
मुताबिक बुनने वाली जगह यहाँ
पर पैरों मे बिखरी हुई सी नज़र
आती है। जो फलती है बैठने से,
सुनने
से और कुछ नये पैमाने बनाकर
कहीं खो जाने से।
उस
काल्पनिक तस्वीर के हाथ मे
आते ही ये बिलकुल भी नहीं लगा
की ये कोई बेजान टुकड़ा है।
लगा जैसे किसी जानदार टुकड़े
को हाथो मे फसाये बैठा हूँ।
जिसके अन्दर डूबने को मन होता
है। जो यादों को खींच लेने की
ताकत रखता है। मैं धीरे -
धीरे
इसके अन्दर दाखिल होता जाता
हूँ। जिसमे मुझे कोई रोक नहीं
दिखती। वो तमाम पल उभरने लगते
है जो मुझे कुछ ही क्षण मे जाने
- अंजाने
चेहरों की बीच मे खड़ा कर देते
हैं और मैं वहाँ पर खड़ा तस्वीर
के अन्दर के हर शौर को सुन पाता
हूँ,
देख
पाता हूँ। सब कुछ जैसे अपने
पास ही लगने लगता है। कुछ भी
तो नहीं खोया या खो जाने वाला
है। जो भी अपना था या अपनाया
गया था वो सब कुछ अपनी आवाज़ों
और शौर के साथ यहीं पर मौज़ूद
है।
सही
मायनो मे ये उस पल को बेखौफ रख
पाता है,
जिसे
कहीं भी,
कभी
भी याद करके या देखकर,
नज़र
भर की झलक निहारने से भी कई
यादें आपस मे टकरा जाती हैं।
वो सभी कुछ याद आता रहेगा जिसे
शब्दों और बोलो की जरूरत नहीं
है। लेकिन वो अहसास खाली
कहानियों और घटनाओ मे ही बयाँ
होता है। इतना होने के बावजूद
भी उसके पीछे छुपे वे कण नहीं
बताये जाते जिन्हे हम लिये
जीते हैं। और जो उन सभी यादों
का गठबधंन है।
असल
मे चलता है तो बस इस मुलायम
अहसास को महसूस करने की मुहीम।
अभी जैसे कई और परतें शामिल
हैं इस बिरखी दुनिया के दरमियाँ।
लख्मी
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