जीवन खुला हैं और खुला रहेगा मगर इस में जीने वाले लोग अपने लिए दायरें बना लेते हैं जो छोटे -छोटे विभाजन में बदल जाते हैं। अपने से मुक्त करना ही जीवन का नाम हैं। हमारे राज और सच हमारे नहीं होते वो दूसरो से जुड़े होते हैं जिनके फास हो जाने के डर से हम अपने को मुक्त नहीं कर पाते
राकेश
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