कल्पना अपने में कई अलग व विभिन्न संसार लिये है जिसकी कग़ारें ज़िन्दगी को भव्यता का परिचय प्रदान करती हैं। कल्पना का फूहड़ सा अनाड़ी होना भी ज़िन्दगी को उसी के आम होने की दलदल से बाहर निकाल देता है। ऐसे झूठ की तरह जिसमें सच्चाई को उसकी अपनी पहुंच से बाहर धकेलने की ताकत होती है।
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