शाम का वक़्त कैसा भी हो लेकिन ये जगह किसी काम से खाली महसूस होती है। लगत है जैसे अब किसी के पास कुछ बचा नहीं है। जितनी सहजता से और जल्दी से अपने काम को निबटा लो उतना ही बेहतरीन होगा। शाम का नज़ारा देखने से बनता है। शांत तो नहीं कह सकते लेकिन कुछ तो है जिससे खाली हैं हाथों मे कुछ बचा नहीं है। जिसे खुरच कर दिन को दोहरायऊޠजाये या फिर कोई इरादा नहीं है जिसे अभी के वक़्त मे किया जाये। टुकड़ो में नज़र आते झुंड अपने मे कई ऐसे काम समाये हुए हैं जिसका अंदाज़ा भरना आसान नहीं होगा। हर वक़्त यहाँ का दक्ष है। अपने हर काम और दृश्य में छुपे कामों मे दक्ष होने और अपने साथ किसी शख़्स को माहिर करने के बेइन्तहा कारण समाये हैं। जिसको इस वक़्त एक-दूसरे मे पिरोया जाता है।
यहाँ की शाम की सबसे बड़ी और अच्छी बात ये है कि कल फिर से दिन के शुरू होते ही वही होगा जिससे खाली हुए हैं।
अभी आँखें किसी को खोज़ नहीं रही बस, पूरी जगह में घुम रही है। नज़रों के टिकने के कोने यहाँ बेहद हैं लेकिन लगता है जैसे सब के सब अपने में व्यस्त हैं। यहाँ पर खड़ा होना ही इस जगह के अन्दर घुसने के लिए झंझोरता है। लगता है जैसे बिना आवाज़ किए बस, दाखिल हो जाओ।
एक बेहद कसक सी महक पूरे माहौल मे तैर रही है। इसको संभालना बहुत मुश्किल है। वे सब कुछ छुप गया है जो दिन की रोशनी मे इसे न देखने पर मजबूर करता है। अब तो पूरे इलाके मे नज़र कहीं तक भी घुमाओ कोई मनाही नहीं है। बस, कुछ रास्ते जैसे कस गए हैं। उधर जाना मना है। ये मना किसी ने किया नहीं है। कोई तख़्ता नहीं लगा है लेकिन फिर भी जैसे वे किसी और का है और ये बात सब जानते हैं। इस वक़्त मे ये जगह काफी बड़ी महसूस हुई। इस दौरान पूरे इलाके मे पैदल घुमने मे थकावट सी महसूस होती है।
एककाद कोने तो जैसे स्वप्नद र्शी बने यहाँ ठहरे हुए हैं जहाँ पर लोग आते और दो ही पल मे चले भी जाते। यहाँ की मुण्डेरियाँ भरी लदी हैं। जहाँ पर सुस्ताने से भरपूर माहौल ख़ुद मे बुलाने के कई तीर छोड़ता है। ऐसा लगता जैसे घंटों अगर यहाँ पर बैठकर गुजारा भी जाये तो वो अहसास कम होगा।
यहाँ पर लगे चीज़ों के चिट्ठे किसी शख़्स की भांति खड़े नज़र आ रहे हैं। ऐसा लगता जैसे सभी ख़ुद मे बातें कर रहे हैं। एक-दूसरे से कुछ कहने की चाहत मे, एक-दूसरे पर लदे पड़े हैं। इस वक़्त मे अगर कुछ देखने की चाहत भी होती है तो भी यही सब कुछ नज़र आता है।
दिन की शुरूआत के लिए कुछ तैयारी इनमे समाई होगी ये कहना मुमकिन नहीं होगा।
लख्मी
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