Saturday, June 20, 2009

अंदरूनी जगह के लम्हे















जिंदगी कभी - कभी उन रास्तों को पकड़ने की चाहत में आमादा हो जाती है जो उसी की रहनावाज़ बनी रहती है.

राकेश

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