विकल्पों की कमी नहीं पर आज के नौज़वान किसी और ही संकृति की ओर आर्कषित हो रहे हैं 2050 तक भारत और अमेरीका में कोई अन्तर नहीं होगा। न रोजी रोज़गार का न फैशन, शिक्षा का सब एक हो जायेगा पर दुख इस बात का है की अगर कुछ नया होगा तो हजारों साल पुरानी सभ्यता लुप्त हो जायेगी। उसका गुन-गान गाने वाला इंसान नहीं बचेगा। मशीनरी राज होगा हर जज़्बात, हर बात, हर भावना, हर अंग से पर्दाफाश होगा।
राकेश
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