Sunday, April 25, 2010

जीवन एक है फिर सब बराबर क्यो नही होता ?

ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी की लगे न इसे नज़र। क्या घर को किसी प्रयोग और अभ्यास की जगह बनाया जा सकता है। घर में हम क्यों वो नहीं कर पाते जो बाहर तलाशते हैं। घर क्या है? और हम जहाँ ज़्यादा समय बिताते हैं, वो जगह क्या है?




जीवन एक है फिर सब बराबर क्यों नहीं होता? सब के बीच क्या दूरी है? ये दूरी ये जगह जो अपने किसी संतुलन को बनाये रखने के लिये बनाई जा रही है। इसकी परख क्या होती है?





राकेश...

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