Wednesday, April 14, 2010

कोई परछाई हमें देखती है ,सूनती है।

इस मे हम कहाँ है।



कोई है जो हमेशा साथ है और होकर भी अद्विश्य है।



आवाज देती परछाई।



हमें सूनती और देखती है।



साथ रहती है ।



सामने तो कभी पिछे ।



हर वक़्त



किसी जगह में



अपने साथ भी


कभी दिख जाती है और कभी हाथ ही नही आती है।



राकेश

2 comments:

Udan Tashtari said...

अद्भुत!!

शानदार कलाकारी.

RAJNISH PARIHAR said...

बिलकुल नया और अद्भुत अनुभव है ये तो...बहुत बढ़िया....