एक शहर है
Wednesday, April 14, 2010
कोई परछाई हमें देखती है ,सूनती है।
इस मे हम कहाँ है।
कोई है जो हमेशा साथ है और होकर भी अद्विश्य है।
आवाज देती परछाई।
हमें सूनती और देखती है।
साथ रहती है ।
सामने तो कभी पिछे ।
हर वक़्त
किसी जगह में
अपने साथ भी
कभी दिख जाती है और कभी हाथ ही नही आती है।
राकेश
2 comments:
Udan Tashtari
said...
अद्भुत!!
शानदार कलाकारी.
April 14, 2010 at 3:44 AM
RAJNISH PARIHAR
said...
बिलकुल नया और अद्भुत अनुभव है ये तो...बहुत बढ़िया....
April 14, 2010 at 10:02 AM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
अद्भुत!!
शानदार कलाकारी.
बिलकुल नया और अद्भुत अनुभव है ये तो...बहुत बढ़िया....
Post a Comment