Wednesday, April 21, 2010

सफ़र के चिन्हित रूप














एकान्त में बहुत दूर तक देखा जा सकता है। वो ख्याल जो अपने को किसी कल्पना में ले जाती है उसकी रचना एकान्त में होती है।



















जहाँ पर आकर अपनी यादें फिर से लौट कर आती हैं, समय फिर एक रफ़्तार रोक लेता है ये क्या है?














रात का समय है और सवेरा खड़ा है दहलीज पर, बिखरे हुए अफ़सानों का कोई सफ़र पास है।


राकेश

2 comments:

Devatosh said...

एकान्त में बहुत दूर तक देखा जा सकता है।

Bus itna hi kaafi hai. Ananddaaya prastuti.

Shekhar Kumawat said...

बहुत सुंदर


bahut khub


shekhar kumawat


http://kavyawani.blogspot.com/