एकान्त में बहुत दूर तक देखा जा सकता है। वो ख्याल जो अपने को किसी कल्पना में ले जाती है उसकी रचना एकान्त में होती है।
जहाँ पर आकर अपनी यादें फिर से लौट कर आती हैं, समय फिर एक रफ़्तार रोक लेता है ये क्या है?
रात का समय है और सवेरा खड़ा है दहलीज पर, बिखरे हुए अफ़सानों का कोई सफ़र पास है।
राकेश
2 comments:
एकान्त में बहुत दूर तक देखा जा सकता है।
Bus itna hi kaafi hai. Ananddaaya prastuti.
बहुत सुंदर
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
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