Tuesday, June 23, 2009

उखडते प्रगाढता का चेहरा

रंग बहुत है बस जरूरत है खुद को उन रंगो के पास पहुँचाने की, जब मिलेगा आप को अपना नया रंग।



रोशनी की गुलाम नहीं वो बन्द मुठ्ठी को भी चकमा दे देती है आप किसी भ्रम मे मत रहना वो जागती आँखो को भी धोखा दे देती है।




जमीं पर पड़े निशान मिट जाते हैं अच्छे-अच्छे जख़्म भर जाते हैं,मगर जीवन मे किसी की मौजूदगी का होना नहीं मिट सकता। वो मौजूदगी जो गायब है।ये विवाह की वेदी पर हुआ कैसा गठबंधन है। जो आत्माओ का युगो तक रिश्ता बना देता है।





राकेश

4 comments:

ओम आर्य said...

pics utane hi achchhe hai jitana ki bhawanaaye......

Udan Tashtari said...

सुन्दर चित्र.

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया चित्र!

Ek Shehr Hai said...

aap ne jo rashvir me jhaka achchh laga.aap ke liye hum is tareh ki shirkat karte rahege . shehr main tareh-tareh ki kalpnao se aap ko mukhati karvate rahenge.

thanx.