युगों से युग बदलते आये हैं इसका अफसोस क्या किजिये?हाथ बढ़ाइये और सबको अपना लिजिये।पानी जब बह निकलता है तो अपना रास्ता तलाश लेता है और ज़िन्दग़ी जब जी उठती है तो अपने साधन बना लेती है।
hello ishaanaap ne ek shehr ko padha achchhA laga.aap se ek samvad pakar humain khoshi hoti hai.rakeshpks
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युगों से युग बदलते आये हैं इसका अफसोस क्या किजिये?
हाथ बढ़ाइये और सबको अपना लिजिये।
पानी जब बह निकलता है तो अपना रास्ता तलाश लेता है और ज़िन्दग़ी जब जी उठती है तो अपने साधन बना लेती है।
युगों से युग बदलते आये हैं इसका अफसोस क्या किजिये?
हाथ बढ़ाइये और सबको अपना लिजिये।
पानी जब बह निकलता है तो अपना रास्ता तलाश लेता है और ज़िन्दग़ी जब जी उठती है तो अपने साधन बना लेती है।
hello ishaan
aap ne ek shehr ko padha achchhA laga.aap se ek samvad pakar humain khoshi hoti hai.
rakesh
pks
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