हमारे आसपास क्या है? टेडी-मेडी सपाट सतहें। उनके साथ बने कुछ कोने जो किसी न किसी से जुड़े रहते हैं। ये कोने स्थिर होकर भी स्थिर नहीं होते। किसी याद या ठहरे विचार को हरकत में ले जाते हैं।
ये बहुत दूर भी ले जाते हैं और आँखों के सामने एक जीवनी का विवरण भी कर जाते हैं। हम अपनी याद का कोई महफूज पल, दिन या सफ़र वापस किसी कोने और अवसर के दौरान जी पाते हैं जिसके साथ जीवन के आने वाले कल की सूचना मिल जाती है।
जिसको सुनकर हैरानी नहीं होने चाहिये। क्योंकि जो हो रहा है उसका कारण है। इसके अलावा हम भी किसी वज़ह या बे-वज़ह से जुड़े होने के बाद भी हम कहाँ है ये देखने की कोशिश करते हैं। हम जहाँ हैं हम वहीं हैं और इसके साथ जो हो रहा है वो कसौटी है, सिच्यूवेशन है। जिसमें शरीर किसी उर्जा की तरह काम करता है।
राकेश
1 comment:
पेन्टिंग्स और गद्य पीस...दोनों पसंद आये.
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