Tuesday, May 19, 2009
खुद के अक्स है या ओरो के अंदर के चेहरे....
कोई अपनी छाप कैसे छोड़ता है? हम दौड़ते जा रहे है, भागे जा रहे है मगर क्या हमे मालूम है अपने पीछे कितने निशान छोड़ते जा रहे है?
ये एक झरोखा है, इसमें से वो दिखता है जो नज़रे एक बार में देख कर छोड़ देती है मगर आँखे किसी चीज़ के पीछे कितनी दूर तक जा सकती है?
ये एक दिशा है, जो कहीं खींच कर ले जाती है. बिलकुल उस रास्ते की तरह जो खुद में कई मौड़ लिए रहता है. बस कदम चलते जाते है और रास्ता बदलता जाता है. हमारे पैर कितनी दूर तक बिना मौड़ के चल सकते है?
ये एक अक्स है, जो हर किसी के अंदर से होकर निकलता है, जिसे बस खुद में बसाया जाता है, उसके साथ खेला जा है और उसके साथ जिया भी जाता है. क्या हमे पता है की हम अपने अंदर कितने अक्स लिए घूमते है?
परछाइयों के पीछे दौड़ कर तो देखो. कहाँ का सवाल कभी सामने ही नहीं आएगा.
लखमी
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