Wednesday, May 27, 2009

लच्छे चुश्की गर्मी की मिटाये खुश्की...

"दो रूपये में मन को तरोताज़ा किजिये। लच्छे चुश्की गर्मी की मिटाये खुश्की। जो खाये वो ललचाये जो न खाये वो पछताये।"

रेहड़ी पर बर्फ को घीस-घीस कर खिलाने वाले सुखीराम जी ने अपनी बर्फ की रंग-बिरंगी गोला, चुश्की का सब को दिवाना बना रखा था। हाथों की करामात भी अनोखी होती है कहा से क्या बनाकर निकाल दे ये जुगाड़ कुछ पता नहीं चलता है।

शादी पार्टी या जन्म दिन हर कार्यक्रम मे वो अपनी रेहड़ी पर समान लगाकर होने वाले कार्यकम्रो के दरवाजे के पास खड़े होकर बर्फ के गोले बेचा करते। बहुतों की तरह उनका भी शहर से रिश्ता किसी न किसी दास्तान जुड़ा है।

एक बातचीत के दौरान उन्होनें बताया की वे तेरह साल के थे। जब गाँव से भाग आये फिर यहाँ अपने जीजा के साथ मिलकर कई छोटे बडे काम किये फिर एक ही आखिरी काम जो बर्फ कि फैक्ट्री में काम आया था बिना किसी डिगरी के सार्टीविकेट के उन्होनें शहर में अपनी एक पहचान बनाई जिसे देख कर उनका अपना माहौल बदल ही जाता है।

सुखीलाल अब अपने बीवी बच्चों के साथ हैं पर रेहड़ी पर चलते-चलते कई बातचीत ये करने लग जाते है और गुज़रे जमाने के हवाले से कुछ अलग इस वक़्त की कल्पना करते हैं।

राकेश"दो रूपये में मन को तरोताज़ा किजिये। लच्छे चुश्की गर्मी की मिटाये खुश्की। जो खाये वो ललचाये जो न खाये वो पछताये।"

रेहड़ी पर बर्फ को घीस-घीस कर खिलाने वाले सुखीराम जी ने अपनी बर्फ की रंग-बिरंगी गोला, चुश्की का सब को दिवाना बना रखा था। हाथों की करामात भी अनोखी होती है कहा से क्या बनाकर निकाल दे ये जुगाड़ कुछ पता नहीं चलता है।

शादी पार्टी या जन्म दिन हर कार्यक्रम मे वो अपनी रेहड़ी पर समान लगाकर होने वाले कार्यकम्रो के दरवाजे के पास खड़े होकर बर्फ के गोले बेचा करते। बहुतों की तरह उनका भी शहर से रिश्ता किसी न किसी दास्तान जुड़ा है।

एक बातचीत के दौरान उन्होनें बताया की वे तेरह साल के थे। जब गाँव से भाग आये फिर यहाँ अपने जीजा के साथ मिलकर कई छोटे बडे काम किये फिर एक ही आखिरी काम जो बर्फ कि फैक्ट्री में काम आया था बिना किसी डिगरी के सार्टीविकेट के उन्होनें शहर में अपनी एक पहचान बनाई जिसे देख कर उनका अपना माहौल बदल ही जाता है।

सुखीलाल अब अपने बीवी बच्चों के साथ हैं पर रेहड़ी पर चलते-चलते कई बातचीत ये करने लग जाते है और गुज़रे जमाने के हवाले से कुछ अलग इस वक़्त की कल्पना करते हैं।

राकेश

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