17 फरवरी 2008, समय दोपहर12:40 बजे
शहर मे खो जाने को तलाशना- एक छोटी सी कहानी।
कहानियों का मसीहा कहीं खो गया है। इसलिये आकाश मे तारों की कमी नज़र आने लगी है। क्या ये ब्रह्माण्ड मे कोई विस्फोट के कारण है।
समन्दर मे कश्तियाँ तैरती हैं। कश्तियों का वज़ूद जैसे पानी मे जीना है। उसी तरह अपनी तलाश मे ही ज़िन्दगी एक सफ़र बनाती है। ज़िन्दगी हर रोज कहानी गढ़ती है। अपने वज़ूद को तलाशने के लिए।
राकेश
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