Wednesday, April 15, 2009

एक किलो गेहूँ और एक गाना...


दिनाँक- 12-04-2009, समय- शाम 3:00 बजे

इनका नाम पूरे चार-पाँच गाँव मे जहुरा बाबा कहकर पुकारते हैं। ये मेरठ के एक छोटे से गाँव खट्टा के रहने वाले हैं। वे कोई गाना गाते हुए पिछली यादों मे फौरन चले जाते हैं। कहते हैं -

ब्याह को हुए चार साल हो गए थे। मगर बहु का गौना नहीं हुआ था। उनकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी। ब्याह के बाद वो चार साल उन्हे आज भी याद है और ये उनकी ज़िन्दगी मे अनमोल है। उन चार सालों मे गुजरा एक-एक वक़्त उन्हे भूलने से भी नहीं भूलता।

वे चौदह साल के थे उस वक़्त जब उनका ब्याह हुआ। उस समय ऐसा भूत सवार था उनपर की मन निचावला बैठने की कोई जिद्द नहीं करता था। बस, उड़ते फिरते थे एक गाँव से दूसरे गाँव और एक मण्डली से दूसरी मण्डली।

उन चार सालों के बीच का कोई भी समय पूछलो तो वे बात पर बात बताते हैं।



उन दिनों गाँव मे बहुत जोरदार सभा आई हुई थी। पूरा का पूरा गाँव शाम होते ही वहीं पर चल देता था। क्या जनानी या क्या आदमी सारे वहीं पर अपनी चौगड़ी जमाये बैठे रहते थे। चाहें पूरा दिन कुछ भी हो लेकिन शाम मे सारा गाँव खाली हो जाया करता था।

उनकी अठ्ठारह साल की उम्र हो चुकी थी वो अपने भीतर अल्लडपन लिए घूमते थे। दिन मे कभी तो वो दुकान संभालते तो कभी भैंस चराते। वो भी शाम मे उन्ही मण्डलियों मे घुस जाया करते थे।

गाँव की उस सभा में किसी आदमी के पास मे एक रिर्कोडर वाला भौंपू हुआ करता था। वो रोजाना शाम मे नये-नये गाने वाली रिर्कोड चलाया करता था। वहीं पर इन्होने कई गाने व गीत सुने थे। ये कहीं उन्हे भूल न जाये इसलिये अगले पूरा-पूरा दिन उसे गाते रहते थे।


वे बताते हैं, जब वो अठ्ठारह साल के पूरे हो चुके थे। तो गाँव मे बड़ी जोरदार अनबन चलने लगी थी। गाने गाना सही नहीं माना जाता था। कोई अगर गाँव मे गाना गाता हुआ गुजरता था तो उसके घर मे कोई न कोई कलेश हो जाता था। उस समय गाँव मे रागनी गाई जाती थी। सभी आदमी चाहते थे की उनके बालको मे ये रागनी के गुण ‌आ जाये लेकिन किसी के पल्ले ये नहीं पड़ते थे। फिल्मो के गाने तो फौरन याद हो जाया करते थे। तब बड़ी चली थी लता-मुकेश की पिच्चर "मदरइंडिया" तो बस, पूरे गाँव मे बहुत जोर पकड़ रहे थे। वहीं से सारे गाने ज़ुबान पर रूक गये।

वे आज भी अपने सामने बैठे सुनने वाले लोगों मे ये नहीं देखते की उनकी उम्र क्या है? या वे कौन है? बस, उनके बैठते ही महफिल शुरू हो जाती है।



लख्मी

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