जब जगह में पड़ते है। तब माहौल में कई छवियाँ व्यवस्थित हो जाती हैं। जगह का अपना वज़ूद अपने को किसी अन्जान से चेहरे में ढाल लेता हैं। जब उसका अन्जान सा चेहरा हमें महसूस होता है तो तरह-तरह की कल्पनाएँ घेर लेती हैं जिसके कारण हम अपने शरीर को भूल जाते हैं।
दिनाँक- 12-04-2009, समय- दोपहर 11:00 बजे
राकेश
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