दिनाँक- 19-03-2009, समय- शम 4:30 बजे रोज़ाना में क्या हमारे लिए अलग होता है जिसे हम रोज़ाना में एक नये छवि में देख पाते हैं। माहौल में सारी वस्तुएँ और जगह, समय और हम परछाई बनाते हैं जिसमें बीत रहे या बीते हुए की छाप रह जाती है। जिसे कोई दूसरा आकर वहीं से शुरू कर देता है जहाँ से पहले वाली सम्भावना रुकी थी।
कहीं से भी वो छवि माहौल में आ सकती है। जो समय के पहले कभी दिखाई नहीं देती। जीवन के चिन्ह जब किसी जगह में दिखाई देते हैं तो आज, कल और अतीत में जाने की कोशिश करते हैं और ये जरूरी भी समझता है। शायद कोई जीवन की छवि मिल जाये जिससे आज को संपन्न तस्वीर दे सकें।
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