Thursday, December 18, 2008

ये सेंसेक्स कहीं, सेक्स न बन जाये यारों

ये सेंसेक्स कहीं, सेक्स न बन जाए यारों

हमें तो लूट लिया मिलके शेयर बजारों ने
मरा आर्थिक मंदी ने, तोड़ा सब्जी मण्डी ने
ठेकेदारी की प्रथा उल्टी पड़ गई देखो
कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन चौड़े में देखो

हमें तो लूट लिया मिलके ......

ख़ामियाज़ा कितना भुगते यहाँ के व्यापारी,
हाए! फूटी कहाँ आकर इनकी किस्मत बेचारी
नाक में दम किया मजदूर अभियानों ने
लुट गया सेंसेक्स बजार के शामियानें में

हमें तो लूट लिया मिलके.......

पार्टियाँ जीत गई अब न कोई मतलब है
यहाँ कोई किसी का नहीं सिर्फ़ अपना मतलब है
देश की जनता पर अब नेताइ हुकूमत है
आज खतरें में पड़ा जन-जन का ही मत है

हमें तो लूट लिया मिलके........

चौतरफ़ा लगा महंगाई का जमघट है
वो कभी चढ़ता है और कभी उतर जाता है
कैसा नशा है सेंसेक्स का समझ नहीं आता है
रात-दिन सेंसेक्स ही नज़र आता है

हमें तो लूट लिया मिलके.......

ये सेंसेक्स कहीं सेक्स न बन जाये यारो
अगर उतरें पेन्ट तो कमीज़ तो संभालो यारो
कुछ अंक बढ़ता तो कुछ अंक लुढ़क गया है यारो
इस के चक्कर मे कितनों का दिवाला निकला यारो

हमें तो लूट लिया, मिलके शेयर बजारों ने।


राकेश

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