Friday, December 26, 2008

जूता देव चालिसा।

मारो लात न लगे जब घूसा
शुरू करो कोई चालिसा

भूत-पिसाच निकट नहीं आवे
जूता देव जब नाम सूनावे
मिर्गी, दौरे ये भगावे
चमड़ा जो इस का सुंघावे
बुरी नज़र से सब को बचाता
जूता देव कलयूग में दाता

जूता देव का ये गावो चालीसा
जय-जय-जय जूता देव चालीसा।

जिसको चरणो में धारण किया
जिसको बार-बार प्रणाम किया
समाज में उछला वो जूता देव
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

सभी की औकात है सब का तोहफ़ा
सबका हमराही जूता देव
जीवनपथ पर देता साथ
चाहें गर्मी हो या बरसात
ऐसा मनमौजी जूता देव
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

कभी स्वागत करता जूता देव
तो कभी हार बन के गले मे चढ़ता जूता भेंट
इसका मारा न पानी माँगे
साँप से तेज ये जूता देव
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

भारत में जो चरण पादूका कहलाता
यूरोप मे वो अपना नाम शूज़ बतलाता
पर स्थान वहीं है जहाँ हर कोई सिर झुकाता
तेरी लीला तूही दोहराता
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

तूने बनाया लाखों को विधाता
राम-कृष्ण के चरणों मे तू भाता
जो पापी प्रजा पर अन्याय करे
उसके मुँह को तू चाट जाता
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

तेरी ठोकरों मे जमाना हिल जाता
ऑनलाईन वेबसाइटों पर भी तू जाता
अपनी करामातें बतलाता
तेरी कहानी आज का दौर सुनाता
राजा-रंक या हो आम इंसान
करता तेरी महिमा को सलाम
तू ही सब के पैरों में जाता
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

ज़िन्दगी का हो कोई भी ऐशो-आराम
बिना तेरे कुछ नहीं भाता
पैदल यात्रा में तू काम है आता
कदमों को हानि से बचाता
पगड़न्डियों पर तू इतराता
बुराई को तू मुँह चिड़ाता
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

था इंसानों को कभी जूतों से पहचाना जाता
अब तो कोई चेहरा भी समझ नहीं आता
"मुँह में राम बगल मे छूरी" ये समाज कहलाता
आज के दौर का तू हीरो, ये हल्ला हो जाता
जूता देव तेरी सून्दर गाथा।

राकेश

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